मुखिया जी महाराज परम भजनानंदी संत थे : मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज

वृंदावन । वृंदावन परिक्रमा मार्ग के आजाद पानी घाट क्षेत्र स्थित में चैनबिहारी कुंज में चल रहे महंत रूपकिशोर दास मुखियाजी महाराज के प्रथम निकुंज महोत्सव के अंतर्गत उत्सव के तृतीय दिवस प्रातः कालीन बेला में सुदर्शन महायज्ञ और समाज गायन का आयोजन किया गया। जिसमें ब्रजमंडल के रसिक संतों के द्वारा पदावली का गायन कर समाज गायन की गई। वहीं मध्यकालीन बेला में सुप्रसिद्ध कथा प्रवक्ता और मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज के द्वारा भक्तमाल कथा का श्रोता गणों को श्रवण कराया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता घमंड देवाचार्य पीठ के महंत वेणुगोपाल दास महाराज के द्वारा की गई। वहीं इस मौके पर बोलते हुए मलूक पीठाधीश्वर राजेंद्र दास महाराज ने बताया कि पूज्य मुखिया जी महाराज बड़े ही भजनानंदी संत थे। वह सदा ही प्रभु भक्ति में लीन रहते थे। वह वृंदावन में समाज गायन के मुखिया थे। इसी के चलते उनका नाम मुखिया जी भी पड़ था। बताएं कि महंत रूप किशोर दास मुखिया जी महाराज महामारी रस उपासक के मर्मज्ञ थे। वहीं उन्होंने बताया कि इस वर्ष उनका प्रथम निकुंज महोत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है, क्योंकि सनातन संस्कृति में साधु , संत और रसिको का निकुंज महोत्सव भी एक उत्सव की तरह मनाया जाता है, क्योंकि वह निकुंज गमन करने के बावजूद भी अपने प्रिय जनों पर हमेशा ही कृपा बनाए रखते हैं और उनके हित के लिए प्रभु से कामना करते रहते हैं। अपने गुरुओं का निकुंज उत्सव धूमधाम से मनाने से बहुत ही पुण्य फल प्राप्त होता है। वहीं उन्होंने वृंदावन की महिमा का व्याख्यान करते हुए कहा कि वृंदावन की विशेष महिमा है। वृंदावन की राज प्राप्त करने से भी प्राणी मात्र को मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। यह वही पावन धरा है। जहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने क्रीड़ाये की है। वही इस मौके पर अंतरराष्ट्रीय राम कथा प्रवक्ता विजय कौशल महाराज, वृंदावन दास, बिहारी दास, चतु: संप्रदाय विरक्त वैष्णव परिषद के श्रीमहंत फूलडोल बिहारी दास महाराज आदि मौजूद रहे।

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