
भगवान को जानने लगोगे, तो मानने भी लगोगे – देवकीनंदन महाराजशिवभक्तों ने बनाये 3 लाख 21 हजार मिट्टी के शिवलिंग, किया पूजन-अभिषेकमित्रता सोच-समझकर करो, जो कल्याण के मार्ग पर ले जाये वही सच्चा मित्र वृन्दावन । प्रियाकान्तजु मंदिर पर पार्थिव शिवलिंग का महत्त्व बताते हुये देवकीनंदन महाराज ने कहा कि सतयुग में मणिलिंग की मान्यता है, त्रेतायुग में स्वर्णिमलिंग तथा द्वापर युग में पादरलिंग की मान्यता है लेकिन कलियुग में तो महादेव मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग पूजन से ही प्रसन्न हो जाते हैं । शुक्रवार को शिवभक्तों ने 3 लाख 21 हजार शिवलिंग बनाकर पूजन किया । प्रियाकान्तजु मंदिर प्रांगण में चल रहे 31 दिवसीय सवाकरोड़ पार्थिव शिवलिंग आयोजन में 23 लाख 52 हजार पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन अर्चन एवं विसर्जन कर चुके हैं । शुक्रवार को शिवमहापुराण कथा श्रवण कराते हुये देवकीनंदन महाराज ने कहा कि भगवद् कथायें भगवान के स्वरूप का साक्षात्कार कराती हैं । जब भगवान को जानने लगते हैं तो उन पर विश्वास भी बढ़ने लगता है । उन्होने कहा कि धर्म शास्त्रों में व्रत, पूजन और भक्ति का महात्म्य लिखा होता है । अर्थात इस व्रत पूजन या कथा श्रवण करने से यह फल प्राप्त होगा । जिससे प्राणि विश्वास रखकर भक्तिपथ पर चले । जो मनुष्य अपनी मनोकामनाओं को पूजा के माध्यम से पूर्ण करना चाहते हैं उन्हें पार्थिव शिवलिंग का निर्माण अभिषेक करना चाहिए। अच्छे मित्र की पहचान बताते हुये देवकीनंदन महाराज ने कहा कि जो तुम्हें कल्याण के मार्ग पर ले जाये, तुम्हारी बुराईयों को खत्म करने में सहायता करे, वही सच्चा मित्र है । इसलिये मित्रता सोच-समझकर करनी चाहिये ।आचार्य इन्द्रेश शरण, चन्द्रप्रकाश शर्मा, राहुल पाण्डेय, सोमदत्त तिवारी, सुरेश गोयल, श्रीपाल जिंदल, जगदीश मिश्रा, शेराराम भादु, गजेन्द्र सिंह आदि मौजूद रहे ।