
जहां एक ओर यमुना जल में बेतहाशा वृद्धि होने के चलते यमुना तट के नजदीक रहने वालों के साथ साथ निचले इलाकों में रहने वालों को अपना घर द्वार छोड़ कर अन्यत्र कहीं विस्थापित होने की मजबूरी के चलते बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर संत समाज के साथ साथ वृंदावन के पौराणिक स्वरूप की चाह रखने वाले भक्तों के मन में उत्साह का संचरण हो रहा है और वे ब्रज की प्राचीन घाटों पर यमुना जी के आने पर अपने अपने तरीकों से हर्ष व्यक्त कर रहे है।

इसी क्रम में श्रावण अमावस्या को प्रख्यात संत मलूक पीठाधीश्वर डा राजेंद्र दास देवाचार्य महाराज ने अपने संत परिकर सहित अपने ईष्ट ठाकुर मलूक बिहारी सरकार को धूमधाम से मां यमुना में केलि क्रीड़ा का उत्सव मनाया। इस अवसर पर मलूक पीठाधीश्वर महंत डा राजेंद्र दास देवाचार्य महाराज ने कहा कि ब्रज और मां यमुना के प्राचीन स्वरूप की रक्षा कर ही हम अपनी सनातनी संस्कृति और सभ्यता के साथ ही अपने स्वयं के अस्तित्व की रक्षा कर सकने में समर्थ होंगे। उन्होंने ज्ञान गुदड़ी पर मां यमुना के पहुंचने को उनका हम सभी के प्रति स्नेह तथा आशीर्वाद बताया। इस अवसर पर सुविख्यात भागवत कथा प्रवक्ता आचार्य पुंडरीक जी महाराज, श्री राधा वल्लभ लाल के रसिकोपासक संत रसिक माधव दास जी महाराज आदि सहित अनेकों संत महंतों ने भी मां यमुना के प्राचीन तट पर पहुंचने पर मां यमुना की आरती, चुनरी महोत्सव आदि विभिन्न माध्यमों से उनका स्वागत किया और फल मिष्ठान्न वितरित कर आनंद लाभ प्राप्त किया।